सऊदी अरब, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की पूर्ण सदस्यता प्राप्त करने वाला पहला अरब देश बन गया है।
अमेरिका में आयोजित समूह की सालाना बैठक के बाद सऊदी अरब को यह अवसर प्राप्त हुआ है।
सऊदी प्रेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 1989 में समूह की पहली बैठक की 30वीं बरसी पर वैश्विक धन शोधन रक्षक के रूप में किंगडम को शामिल किया गया।
सऊदी अरब को 2015 के आरंभ में एफएटीएफ की ओर से बतौर पर्यवेक्षक सदस्य आमंत्रण मिला था। समूह की फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में 21 जून को आयोजित बैठक के बाद सऊदी अरब को संगठन में शामिल किया गया।
सऊदी अरब नवंबर 2004 से समूह के एमईएनए का संस्थापक सदस्य रहा है और किंगडम द्वारा इस दिशा में मूर्त प्रगति के बाद समूह की सदस्यता प्रदान की गई है। किंगडम के एफएटीएफ सदस्य बनने के बाद समूह के स्थाई सदस्यों की संख्या अब 39 हो गई है।
G-7 देशों की पहल पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की स्थापना 1989 में हुई थी, ये एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है। इस संगठन के सदस्यों की संख्या 37 है। भारत भी इस संगठन का सदस्य है।
इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने में नाकाम देशों की रेटिंग तैयार करना है। एफएटीएफ ऐसे देशों की दो लिस्ट तैयार करता है। पहली लिस्ट ग्रे और दूसरी ब्लैक होती है। ग्रे लिस्ट में शामिल होने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक मदद मिलने में मुश्किल होती है। वहीं, ब्लैक लिस्ट में आने वाले देशों को आर्थिक सहायता मिलने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है।