भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: पहल और प्रगति


पिछले कुछ वर्षों से भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2018-19 के बजट में यह उल्लेख किया था कि केंद्र सरकार का थिंकटैंक नीति आयोग
जल्दी ही राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता

कार्यक्रम (NAIP) की रूपरेखा तैयार करेगा।

इसके पहले चीन ने अपने त्रिस्तरीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा जारी की थी, जिसके बल पर वह वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में विश्व का अगुआ बनने की सोच रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

वस्तुतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अथवा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है और इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जाता है, जिसमें कंप्यूटर इंसानों की तरह सोच सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शरुआत 1950 के दशक में हुई थी। इसके माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जो उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास करता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क चलते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले सिस्टम के जरिए 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शुमार गैरी कास्पोरोव को भी हराया जा चुका है।

सरकार की ओर से किये गए प्रयास:

केंद्र सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षाविदों तथा उद्योग जगत को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त सरकार ने बजट में फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-D प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं।
सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है।
वाणिज्य मंत्रालय ने कृत्रिम बुद्धि (एआई) पर एक टास्क फोर्स का गठन किया है ताकि भारत के आर्थिक परिवर्तन को सुनिश्चित किया जा सके। टास्क फोर्स के अध्यक्ष, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर वी. कामकोती होंगे।
इससे पहले पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने 7-सूत्री रणनीति तैयार की थी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिये भारत की सामरिक योजना का आधार तैयार करेगी।

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत में अभी अपने शुरुआती दौर में है और देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जा सकते हैं। देश के विकास में इसकी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है।
सरकार भी चाहती है कि सुशासन के लिहाज़ से देश में जहां संभव हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए। सरकार ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये एक मॉडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है। उद्योग जगत ने सरकार से इसके लिये कुछ बिंदुओं पर फोकस करने को कहा है:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये देश में एक अथॉरिटी बने जो इसके नियम-कायदे तय करे और पूरे क्षेत्र की निगरानी करे।
सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ प्राथमिकता के आधार पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि आदि इसके लिये उपयुक्त क्षेत्र हो सकते हैं।


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