धींगड़ा क्लासेज़ की यह यात्रा 23 स्टूडेंट्स के पहले बैच के साथ शुरू हुई। समय था, सुबह 7.30 से 9.30 स्टूडेंट्स को खुशनुमा माहौल में पढ़ाना और टीचर के साथ interaction का मौका देकर सिलेक्शन करवाना हमारी प्रतिज्ञा थी जो आज भी जारी है। उस वक़्त बैंक के एग्जाम हर बैंक द्वारा अलग-अलग लिए जाते थे, इसलिए महीने में 2 या 3 पेपर हो जाया करते थे। थोड़े ही समय में सिलेक्शनस का सिलसिला शुरू हो गया। क्लास की हर जिम्मेदारी सर खुद निभाते। रात भर बैठ कर अच्छे से अच्छे नोट्स तैयार करने का जो सिलसिला उस वक़्त शुरू हुआ वो आज भी थमा नहीं है। लेकिन उस वक़्त टाइपिंग, एडिटिंग, प्रूफ-रीडिंग आदि सारी जिम्मेदारियां भी खुद को ही निभानी पड़ती थी।
उन्ही दिनों बैंक ऑफ बड़ौदा के एक पेपर के लिए सिर्फ तीन पेज का GK स्टडी मटेरियल क्लास में दिया गया, और परीक्षा में सारे के सारे प्रश्न उन पेजेज में से आए, बस फिर क्या था, हर पेपर में धींगड़ा क्लासेज़ की ही धूम मचने लगी। स्टूडेंट्स के बीच मे धींगड़ा क्लासेज़ एक ब्रांड बन गया था। गणित और रीजनिंग जैसे विषयों को पढ़ाने की एक नई एप्रोच हमने सबके सामने रखी, मार्किट की पुस्तकों पर ज्यादा rely न करते हुए अपना खुद का स्टडी मटेरियल तैयार करने पर हमेशा से हमने ज़ोर दिया। भारत का आज ऐसा कोई राज्य नहीं, जहाँ के स्टूडेंट ने यहाँ आकर तैयारी न की हो। चाहे वह दिल्ली हो, या मुम्बई, चाहे आंध्रप्रदेश हो या पश्चिमी बंगाल, असम हो या उड़ीसा या बिहार, हर क्षेत्र के बच्चों ने धींगड़ा क्लासेज के स्टडी पैटर्न को अपना कर सफलता प्राप्त की है। 2011 में IBPS-1 में हमारी छात्रा बिंदु राणा ने 193 अंक प्राप्त करके टॉपर बनने का सौभाग्य प्राप्त किया, उसी वर्ष सुनीश चुघ ने 188 अंक भी प्राप्त किये। राजस्थान सहकारी बैंकों की परीक्षा में हमारे छात्र वेंकटेश ने सफलता के सभी रिकार्ड्स को तोड़ा। IBPS 2015 में हमारे छात्र अभिषेक गुप्ता ने toppers में स्थान प्राप्त किया। सफलता की यह परंपरा 2016 में भी जारी रही और IBPS RRB 2016 में अमीषा धींगड़ा ने ऑल इंडिया first rank प्राप्त किया। यही नहीं, हर परीक्षा में हमारे स्टूडेंट्स ने सफलता प्राप्त करने के क्रम को निरंतर जारी रखा है। धींगड़ा क्लासेज़ का हर स्टूडेंट अपने आपको एक परिवार मे सदस्य महसूस करता है। पुनीत सर भी अपने आराम और सहूलियत से पहले स्टूडेंट्स को प्राथमिकता देते हैं, स्टूडेंट की हर छोटी से छोटी आवश्यकता चाहे वह हॉस्टल हो या इंटरव्यू के समय ड्रेस सिलेक्शन आदि, हर चीज़ को व्यक्तिगत रूचि लेकर पूर्ण करते हैं। पुनीत सर अक्सर सिखाते हैं- " नानक नन्हे ही रहियो, जैसे नन्ही दूब। रूख सूख सब जाएंगे, दूब खूब की खूब।" पुनीत सर का ऐसा निश्चित विश्वास है कि स्टूडेंट्स और स्टाफ की मेहनत के साथ-साथ परमात्मा की असीम कृपा भी धींगड़ा क्लासेज़ की सफ़लता का आधार रही है। इस क्लास ने ऐसे अनेके सफलता के उदाहरण देखे हैं, जो ईश्वर की कृपा को स्पषट्तः प्रस्तुत करते हैं। इसीलिए रोज़ाना क्लास से पहले प्रार्थना रखी जाती है। सर का आशीर्वाद लेकर स्टूडेंट्स अपने आप को सुकून और उत्साह से लबरेज़ महसूस करते हैं। क्लासेज़ का स्थान पहले घर का एक छोटा सा कमरा रहा, फिर मंदिर का हॉल, फ़िर घर मे ही ऊपर बना हॉल। आज धींगड़ा क्लासेज़ अपनी खुद की बिल्डिंग में विद्यार्थियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ कार्यरत है। धींगड़ा क्लासेज़ की पूरी टीम स्टूडेंटस् के सपने पूरे करने में दिन -रात लगी रहती है ।आज धींगड़ा क्लासेज़ रायसिंहनगर की पहचान बन गया है। अनेकों घरों में धींगड़ा क्लासेज़ ने खुशियों के दीप जलाए हैं। परमात्मा से यही प्रार्थना है कि यह दीपक जलते रहें।