भारतीय प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य क्या हैं?

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भारत के संविधान में प्रधानमंत्री के निर्वाचन एवं चुनाव के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नही है | अनुच्छेद 75 केवल इतना कहता है कि भारत का एक प्रधानमंत्री होगा जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा l प्रधानमंत्री, मंत्रीपरिषद का नेता होता हैl राष्ट्रपति केवल नाममात्र का शासक होता है जबकि प्रमुख कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं|


भारत के संविधान में प्रधानमंत्री के पद को वास्तविक शक्ति प्राप्त होती है जबकि राष्ट्रपति केवल नाममात्र का शासक होता है. अर्थात राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख होता है जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है. प्रधानमन्त्री को पद ग्रहण करने से पूर्व भारत के राष्ट्रपति द्वारा उसे पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है.  आइये अब प्रधानमंत्री के कार्यों को विस्तृत रूप में जानते हैं.


मंत्रिपरिषद के सम्बन्ध में प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:

1. मंत्री नियुक्त करने हेतु अपने दल के सदस्यों के नाम राष्ट्रपति को सुझाता हैl राष्ट्रपति केवल उन्ही लोगों को मंत्री बना सकता है जिनके नामों की सिफारिस प्रधानमंत्री करता है l

2. यह निश्चित करता है कि किस मंत्री को कौन सा विभाग दिया जायेगा और वह उनको आवंटित विभाग में फेरबदल भी कर सकता है l

3. वह मंत्री परिषद् की बैठक की अध्यक्षता भी करता है और अपनी मर्जी के हिसाब से निर्णय बदल  भी सकता है l

4. किसी मंत्री को त्यागपत्र देने या उसे बर्खास्त करने की सलाह राष्ट्रपति को दे सकता है  l

5. वह सभी मंत्रियों की गतिविधियों को नियंत्रित और निर्देशित भी करता है l

6. वह अपने पद से त्यागपत्र देकर पूरे मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने की सलाह भी राष्ट्रपति को दे सकता हैl अर्थात वह राष्ट्रपति को लोकसभा भंग कर नये सिरे से चुनाव करवाने की सलाह भी दे सकता l

नोट: यदि प्रधानमंत्री अपने पद से त्यागपत्र दे देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो अन्य मंत्री कोई कार्य नही कर सकते हैं अर्थात प्रधानमंत्री की मृत्यु के साथ ही मंत्रिपरिषद स्वयं विघटित हो जाती है l

नियुक्तियों के सम्बन्ध में अधिकार:

प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को निम्न अधिकारियों की नियुक्ति के सम्बन्ध में राय देने अधिकार है :
I. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

II. भारत का महान्यायवादी

III. भारत का महाधिवक्ता

IV. संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष एवं उसके सदस्यों का चुनाव

V. चुनाव आयुक्तों का चुनाव

VI. वित्त आयोग का अध्यक्ष एवं सदस्यों का चुनाव

संसद के सन्दर्भ में अधिकार: प्रधानमंत्री निचले सदन का नेता होता है और वह निम्न शक्तियों का प्रयोग करता है l
1. वह राष्ट्रपति को संसद का सत्र आहूत करने और उसका सत्रवसान करने का परामर्श देता है l

2. वह लोक सभा को किसी भी समय विघटित करने की सलाह राष्ट्रपति को दे सकता है l

3. वह सभा पटल पर सरकार की नीतियों की घोषणा करता है l

प्रधानमंत्री की अन्य शक्तियां :

1. वह राष्ट्र की विदेश नीति को मूर्त रूप दने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l

2. वह केंद्र सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है l

3. वह सत्ताधारी दल का नेता होता है l

4. योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद्, राष्ट्रीय एकता परिषद्, अंतर्राज्यी य परिषद् और राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् का अध्यक्ष होता हैl

5. आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर आपदा प्रबंधन का प्रमुख होता है l

6. वह सेनाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है l

राष्ट्रपति के साथ संबंध:
राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री में बीच सम्बन्ध निम्न दो अनुच्छेदों में दिया गए हैं
1. अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगाl राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा हालांकि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से उसकी सलाह पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है और राष्ट्रपति इस पुनर्विचार के बाद दी गयी सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य होगा l
2.  अनुच्छेद 75:
a. प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा. प्रधानमंत्री की ही सलाह पर वह अन्य मंत्रियों की भी
नियुक्ति करेगा l
b. मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर बने रह सकते हैं l
c. मंत्रिपरिषद, लोक सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी l

प्रधानमंत्री के कर्तव्य:
1. मंत्रीपरिषद् के सभी कार्यों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपना l

2. देश में आपातकाल या कोई अन्य मामला जैसे ‘विदेश नीति’ के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को पूरी जानकारी देना l

3. संघ के कार्यकलाप एवं प्रशासन सम्बन्धी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय पर राष्ट्रपति को सूचित करे l

प्रधानमंत्री के कार्यों पर टिप्पणी करते हुए डॉक्टर अम्बेडकर ने कहा कि यदि हमारे संविधान के अंतर्गत किसी “कार्यकारी” की यदि अमेरिका के राष्ट्रपति से तुलना की जाये तो वह “भारत का प्रधानमंत्री” होगा न कि ‘राष्ट्रपति’ l
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है तथा वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं l
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