अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर दबाव डालकर अपनी कंपनियों के फायदे के हिसाब से हमारी ई कॉमर्स नीति में बदलाव करना चाहते हैं।
इसमें डोनाल्ड ट्रंप का साथ दूसरे विकसित देश भी दे रहे हैं। यूरोपियन यूनियन WTO के जरिए नए नियम भारत पर थोपना चाहता है।
भारत ने इन तमाम कोशिशों का विरोध जताया है। इस मामले पर बातचीत के लिए अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस 6 मई को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने भारत के वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु से मिलकर इस मुद्दे पर अमेरिकी पक्ष रखे।
उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कई बार सार्वजनिक रूप से भारत के उच्च ट्रैरिफ का विरोध कर चुके हैं। यही नहीं, बदले की कार्रवाई में ट्रंप प्रशासन ने भारत से अमेरिका में व्यापार का तरजीही दर्जा (GSP, Generalised System of Preferences ) खत्म करने का नोटिस दे दिया।
अभी लोकसभा चुनाव की वजह से अमेरिका ने जीएसपी छूट का फैसला टाल दिया है। लेकिन चुनाव के बाद फिर से यह मुद्दा गर्मा सकता है।
भारत ने आयातित अमेरिकी चिकित्सा उपकरणों पर और कंपनियों द्वारा उत्पादों की बिक्री का प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका इसे हटवाना चाहता है। अमेरिका चाहता है कि ई कॉमर्स कंपनियों को वेबसाइट के जरिए बिक्री की पूरी छूट मिले।
अमेरिका का मानना है कि वर्ष 2027 तक $ 200 अरब डॉलर व्यापार के आंकड़े को छूने के लिए विदेशी कंपनियों की निवेश योजनाएं इस नियम से प्रभावित हो सकती हैं। विकसित देश सीधे भारत से नियम बदलवाने की बजाय विश्व व्यापार संगठन ( WTO) की शरण में पहुंच गए हैं। यूरोपीयन यूनियन चाहता है कि WTO पूरी दुनिया के लिए ई कॉमर्स के नियम बनाए। जिसमें सबको मुक्त व्यापार की प्राथमिकता मिले। इधर भारत ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया है।