दुनिया से प्लास्टिक कचरे की समस्या को खत्म करने के लिए 187 देशों ने तय किया है कि अमीर देशों से गरीब देशों में प्लास्टिक कचरा नहीं भेजा जाएगा। इन देशों ने स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हुए कार्यक्रम में संधि पर हस्ताक्षर किए हैं कि, दूषित प्लास्टिक वेस्ट को किसी देश के पास भेजने से पहले उस देश की अनुमति ली जाएगी। हालांकि, अमेरिका ने इस संधि से खुद को दूर रखा है।
बेसेल कन्वेंशन के तहत हुई संधि
प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से लड़ने के लिए Basel Convention में प्लास्टिक समस्या को जोड़ने का फैसला लिया है।
बेसेल कन्वेंशन एक संधि है जो एक देश से दूसरे देश भेजे जाने वाले हानिकारक पदार्थों के मूवमेंट का नियंत्रित करती है। इस समझौते के मुताबिक दूषित प्लास्टिक वेस्ट को किसी देश को बेचने से पहले उसे देश की अनुमति लेनी होगी। World Wide Fund (WWF) के मुताबिक PE, PP और PET प्लास्टिक कचरे को छूट दी गई है।
अमेरिका ने नहीं दी मंजूरी
अमेरिका लंबे समय तक चीन और मलेशिया समेत कई देशों में अपना प्लास्टिक कचरा भेजता रहा है। पिछले साल जनवरी में चीन ने अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के इरादे से प्लास्टिक कचरे के निर्यात पर बैन लगा दिया था। इसके बाद अमेरिका ने यहां कचरा भेजना बंद कर दिया। इस सम्मेलन में अमेरिका को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया, इसलिए उसने इस संधि का समर्थन करने से इनकार कर दिया। हालांकि इसके बावजूद अगर अमेरिका ने किसी भी देश को अपना प्लास्टिक कचरा बेचने के कोशिश की तब भी अमेरिका पर यह संधि लागू होगी।
10 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा मौजूद है महासागरों में
दुनिया में सालाना 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है। रिसर्चर्स के मुताबिक दुनियाभर के महासागरों में 10 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पाया जाता है। इसमें से 90 फीसदी कचरा सिर्फ दस नदियों के जरिए समुद्र में पहुंचता है। इसमें भारत की सिंधु और गंगा नदी भी शामिल हैं।