निर्देश (1-10): नीचे दिया गया प्रत्येक वाक्य चार भागों में बांटा गया है. जिन्हें (a), (b), (c) और (d) क्रमांक दिए गए हैं. आपको यह देखना है कि वाक्य के किसी भाग में व्याकरण, भाषा, वर्तनी, शब्दों के गलत प्रयोग या इसी तरह की कोई त्रुटि तो नहीं है. त्रुटि अगर होगी तो वाक्य के किसी एक भाग में ही होगी. उस भाग का क्रमांक ही उत्तर है. अगर वाक्य त्रुटिरहित है तो उत्तर (e) अर्थात् ‘त्रुटिरहित’ दीजिए.
1. मानव आदिकाल से (a)/ ही अपने चारों ओर (b)/ घटित प्राकृतिक दृश्यों, घटनाओं (c)/ आदि को देखता हुआ है (d)/ त्रुटिरहित (e)
1. (d)
2. चार्टर्ड बैंक का 2011 का (a)/ परिचालन लाभ पिछले वर्ष से (a)/ तीन प्रतिशत कम होकर नौ (c)/ करोड़ डॉलर रहा है (d)/ त्रुटिरहित (e)
2. (b)
3. मोक्ष की राह में (a)/ पहला दम है नारी (b)/ देह के प्रति आकर्षण (c)/ से मुक्ति पाना (d)/ त्रुटिरहित (e)
3. (b)
4. कृष्ण ने अर्जुन से कहा (a)/ सदैव क्षमा करना अथवा (b)/ क्रोध करना (c)/ श्रेयस्कर नहीं होता है (d)/ त्रुटिरहित (e)
4. (c)
5. मिस्र में राजवंशों (a)/ की शुरूआत आज से (b)/ पाँच हजार वर्ष पहले (c)/ ही हो गई थी (d)/ त्रुटिरहित (e)
5. (b)
निर्देश (6-10): नीचे दिए गए परिच्छेद में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए गए हैं तथा उन्हें प्रश्न संख्या से दर्शाया गया है. ये संख्याएं परिच्छेद के नीचे मुद्रित हैं, और प्रत्येक के सामने (a), (b), (c), (d) और (e) विकल्प दिए गए हैं. इन पांचों में से कोई एक इस रिक्त स्थान को पूरे परिच्छेद के संदर्भ में उपयुक्त ढंग से पूरा कर देता है. आपको वह विकल्प ज्ञात करना है, और उसका क्रमांक ही उत्तर के रूप में दर्शाना है. आपको दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन करना है.
मेरे हिसाब से सफलता का एक ही (6) हैः कठिन मेहनत. मैंने हमेशा खुद पर भरोसा किया. कॅरियर के दौरान तमाम बार कठिन दौर आए, पर मैंने हार नहीं मानी. मैंने कोशिश नहीं छोड़ी. खुद पर भरोसा किया और जब कभी निराशा बहुत बढ़ गई, तब मैंने हमेशा अपने कोच और परिवार के लोगों की बात सुनी, जिन्हें मेरी (7) पर पूरा भरोसा था. मैं सचमुच खुशनसीब हूँ कि मुझे कर्नल ढिल्लन जैसे कोच मिले जिन्होंने बड़ी शिद्दत से मुझे जीत के लिए तैयार किया.
उन दिनों शहर में बड़े शॉपिंग मॉल नहीं हुआ करते थे. आजकल तो बच्चे स्कूल के बहाने मॉल में समय बिताने चले जाते हैं, हमारे दिनों में ऐसा नहीं था. स्कूल से लौटने के बाद मुझे (8) करनी पड़ती थी. माँ मेरी दिनचर्या का पूरा ख्याल रखती थीं. उन दिनों लोग निशानेबाजी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे. सबका ध्यान क्रिकेट पर था. तब मेरी उम्र 13 वर्ष की थी. 1996 के अटलांटा ओलंपिक के दौरान मैंने अपनी बहन से कहा, मैं एक दिन गोल्ड मेडल जीतूंगा. उसके बाद मैं निशानेबाजी को लेकर बेहद गंभीर हो गया. मैं निशानेबाजी पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा, मुझे इसमें (9) आने लगा. मेरा प्रदर्शन लगातार सुधर रहा था, मेरे मन में एक बड़ी जीत की ललक पनपने लगी थी. जीत की ललक ने ही मुझे (10) तक पहुँचने में मदद की.
उन दिनों अपने देश में निशानेबाजी को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत अच्छा (11) नहीं था. प्रशिक्षण की ऐसी व्यवस्था नहीं थी कि खिलाड़ियों को विश्व स्तरीय प्रतियोगिता के लिए तैयार किया जा सके. आप (12) हैं कि आज हमारे देश में बेहतर सुविधाएँ हैं, बेहतर खेल संस्थाएँ हैं, जो खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और उनकी मदद के लिए हर संभव कोशिश कर रहीं हैं. हमारे दिनों में यह सब नहीं था. खेल में जीतने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं है कि आपने बहुत (13) की है या फिर आपने बहुत अभ्यास की है, इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि आप (14) रूप से बहुत मजबूत हों, ताकि अपने सामने बडे़ से बड़े खिलाड़ी को देखकर भी आपको घबराहट न हो. कई बार (15) होना ही आपकी हार का कारण बन जाता है.
6. (a) परिपाटी
(b) रूप
(c) मंत्र
(d) खोज
(e) सूत्र
6. (e)
7. (a) तबियत
(b) स्वास्थ्य
(c) सम्मान
(d) योग्यता
(e) व्यवहार
7. (d)
8. (a) गृहकार्य
(b) व्यायाम
(c) अभ्यास
(d) स्नान
(e) आराम
8. (c)
9. (a) आनन्द
(b) कुशल
(c) सजा
(d) प्रसन्नता
(e) उत्साह
9. (a)
10. (a) पुरस्कार
(b) पदक
(c) पथ
(d) मंजिल
(e) प्रतिष्ठा
10. (d)
11. (a) प्रशिक्षक
(b) मैदान
(c) प्रोत्साहन
(d) साहस
(e) माहौल
11. (e)
12. (a) होनहार
(b) सज्जन
(c) भाग्यशाली
(d) परिश्रमी
(e) उद्यमी
12. (c)
13. (a) प्रयत्न
(b) परिश्रम
(c) श्रम
(d) व्यय
(e) खेल
13. (b)
14. (a) शारीरिक
(b) मानसिक
(c) बौद्धिक
(d) हार्दिक
(e) दैविक
14. (b)
15. (a) उत्साही
(b) घमंडी
(c) हतोत्साही
(d) डर
(e) धनहीन
15. (c)