इसलिए है चर्चा में
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों को एक बड़ी चुनौती करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू एन जी ए) की नवनिर्वाचित अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा गार्सेस ने हाल ही में कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान ‘‘विभाजक’’ मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाने के लिए वार्ता पर जोर देंगी और प्रक्रिया में नयी जान डालेंगी।
- गार्सेस 10 से 14 अगस्त तक भारत यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी मुलाकात के दौरान बहुपक्षीय एजेंडे के विभिन्न मुद्दों तथा महासभा अध्यक्ष के रूप में उनकी सात प्राथमिकताओं पर चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र की निर्वाचित अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ यूएनजीए में भी नयी जान डालने पर चर्चा की।
- गार्सेस ने कहा कि पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात के दौरान जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और विकासशील देशों के बीच सहयोग जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा चर्चा के लिए आया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद है क्या
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है, जिसका उत्तरदायित्व है अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना। परिषद को अनिवार्य निर्णयों को घोषित करने का अधिकार भी है। ऐसे किसी निर्णय को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव कहा जाता है।
- सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य है ः पांच स्थाई और दस अल्पकालिक (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए) पांच स्थाई सदस्य हैं चीन, फ़्रांस, रूस, ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका। बाकी के दस सदस्य क्षेत्रीय आधार के अनुसार दो साल की अवधि के लिए सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग होते हैं
- सुरक्षा परिषद्
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
- महासभा
- सचिवालय
- आर्थिक और सामाजिक परिषद
- न्यायसिता परिषद
यह भी जाने
- जून में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गार्सेस को अपने अगले अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया, जिससे वह संगठन के 73 वर्षों के इतिहास में 193 सदस्यीय विश्व निकाय का नेतृत्व करने वाली चौथी महिला बनीं।
- भारत की विजय लक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष थीं।
- भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान एक विस्तारित सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य बनने की आकांक्षा रखते हैं।
- जी-4 के रूप में जाने जाने वाले ये देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं।