चर्चा में क्यों है अनुच्छेद 35ए और 370
- सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से संविधान के अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी, लेकिन अब इस पर सुनवाई 27 अगस्त को की जाएगी। यह सुनवाई इसलिए टाली गयी क्योकि तीन सदस्यों के पीठ के न्यायधीश डी.वाई, चंद्रचूंड़ अनुपस्थित थे। वहीं, सुनवाई के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गये हैं। घाटी के अलगाववादियों का आरोप है कि सरकार इस अनुच्छेद को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
क्या है मामला
- जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे के खिलाफ दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) वी द सिटिजन ने एक याचिका दायर की थी। इस एनजीओ का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 35(ए) और अनुच्छेद (370) से जम्मू-कश्मीर को जो विशेष दर्जा मिला हुआ है वह शेष भारत के नागरिकों के साथ भेदभाव करता है। एनजीओ का कहना है कि यह अनुच्छेद कभी संसद के सामने नहीं लाया गया और इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया। वहीं, जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस याचिका का विरोध किया है। जम्मू-कश्मीर सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति को अपने आदेश के जरिए संविधान में नए प्रावधान को शामिल करने का अधिकार है।
क्या है अनुच्छेद 35ए
- अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को विशेष अधिकार देता है।
- यह अनुच्छेद बाहरी राज्य के व्यक्तियों को वहां अचल संपत्तियों के खरीदने एवं उनका मालिकाना हक प्राप्त करने से रोकता है।
- अन्य राज्यों का व्यक्ति वहां हमेशा के लिए बस नहीं सकता और न ही राज्य की ओर से मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठा सकता है।
- यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर सरकार को अस्थाई नागरिकों को काम देने से भी रोकता है।
यह भी जानें
- अनुच्छेद 370 और 35ए को संविधान में 1954 में भारत के तत्तकालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला की बातचीत के बाद शामिल किया गया था। संविधान के इन दोनों अनुच्छेदों को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ख़िलाफ़ रही है। 64 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आया है।