3डी प्रिंटर है क्या ?
3D प्रिंटिंग एक बेहद मॉर्डन तकनीक है जिसे थ्री डाइमेंशनल
प्रिंटिंग या एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग भी कहते हैं।
इस तकनीक के जरिए किसी भी आकार की ठोस चीज (सुई, खिलौने,
हथियार, जूते, हेल्मेट, साइकिल फ्रेम, कुछ भी) को प्रिंट किया जा सकता है। इस प्रिटिंग
के जरिए तैयार किए जाने वाली चीज की लंबाई, चौड़ाई,
ऊंचाई, मोटाई, गहराई सब कुछ तय किया जा सकता है।
ऊंचाई, मोटाई, गहराई सब कुछ तय किया जा सकता है।
3D प्रिंटिंग को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग इसलिए कहते हैं
क्योंकि इसमें प्रिंट किए जाने वाली चीज को तैयार करने के लिए प्रिंटिग मटीरियल की
एक के ऊपर एक लेयर के तौर पर रखा जाता है। यह सब कुछ कम्प्यूटर के जरिए ऑपरेट होता
है।
इस तकनीक के जरिए कोई चीज तैयार करने से पहले उसका डिजिटल
या वर्चुअल मॉडल तैयार किया जाता है। डिजिटल मॉडल या वर्चुअल मॉडल कम्प्यूर ग्राफिक्स
सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार होता है।
एक बार वर्चुअल मॉडल तैयार हो जाने के बाद 3D प्रिंटर के
जरिए छपाई शुरू की जाती है। प्रिंटर के इंकजेट हेड्स के जरिए प्रिंटिंग मटीरियल को
एक पाउडर बेड पर स्प्रे किया जाता है। कई बार अलग-अलग हिस्सों में प्रिंट करके उसे
असेंबल भी किया जाता है।
चर्चा में क्यों है ?
वैज्ञानिकों ने एक तेज़ और लागत प्रभावी 3डी प्रिंटिंग
विधि विकसित की है, जिसका उपयोग सभी रंगों में वस्तुओं को मुद्रित करने के लिए किया
जा सकता है। नैनो पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक लोग विनिर्माण, चिकित्सा
उपकरणों, फैशन और यहां तक कि भोजन सहित व्यापक अनुप्रयोगों के लिए 3डी प्रिंटिंग के
उपयोग की खोज कर रहे थे।
हालांकि, 3डी प्रिंटिंग के सबसे कुशल रूपों में एक बड़ी
कमी थी: यह केवल उन वस्तुओं को मुद्रित कर सकता है जो भूरे या काले रंग में हैं।
अब, स्पेन में इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोनिक साइंसेज (आईसीएफओ)
के शोधकर्ताओं ने इस विधि को बदल दिया है, ताकि यह इंद्रधनुष के सभी रंगों में प्रिंट
कर सके।
नई विधि की विशेषता
प्रक्रिया की ऊर्जा आवश्यकताओं को कम करने के लिए, शोधकर्ताओं
ने पॉलिमर पाउडर को प्रकाश संवेदनशीलता नामक यौगिकों को जोड़ा है।
IFCO में गैरेसीमोस कॉन्स्टेंटैटोस, रोमेन क्विडेंट और
सहयोगी एक फोटोसेनिटर ढूंढना चाहते थे, जो एसएलएस यानी Selective laser sintering विधि
द्वारा रंग मुद्रण को सक्षम करेगा।
शोधकर्ताओं ने दृश्यमान प्रकाश के लगभग पारदर्शी होने के
दौरान स्पेक्ट्रम के निकट अवरक्त क्षेत्र में दृढ़ता से अवशोषित करने के लिए सोने के
नैनोडोर तैयार किए। उन्होंने उन्हें सिलिका के साथ लेपित (coated) किया और फिर उन्हें
3डी ऑब्जेक्ट्स प्रिंट करने के लिए पॉलीमाइड पाउडर के साथ मिश्रित किया।
इस दौरान उन्होंने पाया कि सोने के नैनोडोर कार्बन ब्लैक,
उद्योग मानक की तुलना में लेजर से प्रकाश में गर्मी में परिवर्तित करने के लिए बहुत
बेहतर थे।
अंततः शोधकर्ताओं ने कहा कि बड़े पैमाने पर उत्पादन के
लिए सामग्री लागत प्रभावी है।
क्या होगा असर
थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक ने डिजाइन डेवेलपर्स की कल्पना
को जैसे पंख लगा दिए हैं। ऐसा लगता है कि इंसान जिन चीजों की कल्पना कर सकता है, उसे
थ्री डी प्रिंटर से छाप कर निकाल भी सकता है।
बहुत से डिजायनर अब 3डी प्रिंटर का इस्तेमाल करते हैं।
प्रिंटर से छोटी सी कुर्सी बनाना भी कोई समस्या नहीं है। गहने भी कंप्यूटर पर डिजायन
किए जा सकते हैं और उसके बाद प्रिंट किए जा सकते हैं। मानने में वक्त लगता है लेकिन
जूते बनाने का विचार भी काम कर सकता है। इस तरह स्टार्ट अप और बड़ी कंपनियां अपने आयडिया
को जल्द और किफायती तरीके से मूर्त रूप दे सकते हैं।