10 अगस्त, 2018 को विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया गया, इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिरकत की।
- गैर जीवाश्म ईंधन की जागरुकता के लिए हर साल 10 अगस्त के दिनवर्ल्ड बायोफ्यूल डे यानी विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा जैव ईंधन के क्षेत्र में किए गए प्रयासों पर भी प्रकाश डालना भी इस दिवस को मनाने का उपलक्ष्य होता है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि एथनॉल मिश्रण को गति देने
के लिए एथनॉल की आपूर्ति सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इन प्रयासों के कारण
2013-14 में हुई 38 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति मौजूदा सीजन में बढ़कर 141 करोड़
लीटर तक पहुंच गई है।
- प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 की
पुस्तिका का विमोचन भी किया और पर्यावरण मंत्रालय के डिज़िटल प्लेटफार्म “परिवेश”
का भी शुभारंभ किया।
जैव ईंधन
का महत्व
- आपको बता दे,
कि जैव ईंधन दरअसल कच्चे तेल पर आयात की निर्भरता को कम करते हैं।
- जैव ईंधन किसानों के लिए अतिरिक्त कमाई और ग्रामीण
इलाकों में रोजगार की संभावनाएं पैदा कर सकता है
यह भी जानें
- पिछले तीन वर्षों
से तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय विश्व जैव-ईंधन दिवस का आयोजन कर रहा है।
- भारत में जैव-ईंधन दिवस की शुरुआत 10 अगस्त 2015 से
हुई।
- सरकार ने जून 2018 में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति –
2018 को मंजूर किया है।
- इस नीति का लक्ष्य 2030 तक 20% एथेनोल और 5% जैव डीजल
मिश्रित करना है।
पृष्ठभूमि
- देश में जैव
ईंधनों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2009 के दौरान नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
ने जैव ईंधनों पर एक राष्ट्रीय नीति बनाई थी। पिछले दशक में जैव ईंधन ने दुनिया
का ध्यान अपनी ओर किया। भारत में जैव ईंधनों का रणनीतिक महत्व है क्योंकि ये
सरकार की वर्तमान पहलों मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, कौशल विकास के अनुकूल
है और किसानों की आमदनी दोगुनी करने, आयात कम करने, रोजगार सृजन, कचरे से धन सृजन
के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को जोड़ने का अवसर प्रदान करता है। भारत का जैव ईंधन
कार्यक्रम जैव ईंधन उत्पादन के लिए फीडस्टॉक की दीर्घकालिक अनुप्लब्धता और
परिमाण के कारण बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है।