
नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।
इस बार का मुख्य योग कार्यक्रम देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा और साल के इस सबसे लंबे दिन लोग अपने जीवन को अधिक से अधिक लंबा और स्वस्थ बनाए रखने का संकल्प लेंगे।
थीम: वर्ष 2018 के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम "योग फॉर पीस" है।
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस?
21 जून के दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए चुनने की भी एक खास वजह है। यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं। भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है। इसी कारण 21 जून का दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए निर्धारित किया गया था।
योग का इतिहास:
योग का इतिहास करीब 5000 वर्ष पुराना है। इतिहासकारों के मुताबिक प्राचीन काल की गुफाओं में ध्यान करने के प्रमाण मिलते हैं। मुंबई की एलीफैंटा केव से लेकर हिमालय पर्वत की गुफाएं इसके प्रमाण हैं की योग प्राचीन भारतीय ज्ञान का समुदाय है।
इसके अलावा तमिलनाडु से लेकर असम तक और बर्मा से लेकर तिब्बत तक के जंगलों की कंदराओं में आज भी वो गुफाएं मौजूद हैं, जहां पर योग और ध्यान किया जाता था।
योग की उत्पत्ति योग संस्कृत धातु ‘युज’ से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या रूह से मिलन है। राजयोग के अन्तर्गत महिर्ष पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग हैं यम, नियम, योगासन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि।
योग का महत्त्व:
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है। योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आज बहुत से लोग मोटापे से परेशान हैं, उनके लिए योग बहुत ही फायदेमंद है। योग के फायदे से आज सब ज्ञात है, जिस वजह से आज योग विदेशों में भी प्रसिद्ध है।